Tuesday, August 11, 2009

सिर्फ़ तुम...

वो चंद लम्हे,
थे इतने हसीन...
अपनी किस्मत पर,
मुझे ना हुआ यकीन...

कौन जाने था वो ख्वाब,
या मेरे प्यार का जवाब...
तुम थे साथ मेरे,
बन कर मेरा आफताब...

हर पल कर रहे शरारत,
चेहरे पर लिए हुए नज़ाकत...
हमेशा करना फिर मेरी हिफ़ाज़त,
और मान जाना हर बात...

इतना ही बस माँगू मै,
खुदा दे दे मुझे,
उस हसीन परी का साथ,
जिसे चाहूँ मै दिन रात...

द्वारा - सौरभ बजाज

1 comment:

AB said...

Good one bhai..
One more from your collection :)