Wednesday, January 1, 2014

सेवानिवृति

01-01-1954 की शाम,
किसी तरह नहीं थी आम,
धरे "विमल" निर्मल स्वभाव,
जन्में आप "मसुरहाई" गाँव |
आठ भाई पुष्पगुच्छ समान,
सफलता के लिए जुटे जी-जान,
नहीं मानी कभी भी हार,
पढ़ने को किया "भोपाल" विहार |
"उँचेहरा" से किया कर्म आगाज़,
भुला नहीं पाए जिसे आप आज,
"कुसुम" संग ब्याह रचा यदा,
"गौरव" "सौरभ" पाए तदा |
आये फिर "महाकाल" के द्वार,
"उज्जैन" में बसाया घर संसार,
किए परिवार के हर कार्य-निर्वाह,
दूसरों के लिए बनाई सुंदर राह |
नित नयी प्रगति के बाद,
पाया वधू "अविधा" "प्रियंका" का साथ,
चहक उठा किलकरी से घर,
आई "तविषी" जब आपके दर |
अब साठ बरस की उमर पश्चात,
सर्वत्र होकर के विख्यात,
आराम की बेला आई है,
31-12-2013 सेवानिवृति लाई है |

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